Tuesday, February 10, 2015

लोकतंत्र की रक्षा के लिए पाकिस्तान को पराक्रम से परास्त करना होगा


कश्मीर घाटी में लोकतंत्र का उत्सव चल रहा हैउधर सीमा पार बेचैनी छायी हुई हैउरी आर्मी कैंप पर आतंकी हमला उसी बौखलाहट का परिणामथालोकतंत्र की ताकत देखकर पाकिस्तान और उसके गोद में पल रहे आतंकी बौखला गया और दुःसाहसी आतंकी हमला को अंजाम दिया। जबकश्मीर में आतंकवादी गोलियां चला रहे थे.....तब उनका आका हाफिज सईद लाहौर में भारत के खिलाफ जहर उगल रहा था.. दुनिया का मोस्टवांटेड आतंकवादी हाफिज सईद मुंबई हमले का मास्टरमाइंड है और २६० मासूमबेगुनाहों का कातिल है.  वो बार बार इस्लाम का नाम लेकरलोगों को गुमराह करने की कोशिश करता है...जेहाद के लिए भडकाता हैइस मोस्ट वांटेड टेरेरिस्ट हाफिज सईद और उसके आतंकी संगठन केपीछे पाकिस्तान सरकार की पूरी ताकत  और समर्थन है ये बात साबित हो चुकी हैहालांकि पाकिस्तान इससे इंकार करता रहा है.   
दरसअल  भारतीय लोकतंत्र में गजब की ताकत हैकश्मीर में लोगों ने दिखा दिया की बैलेट की ताकत बुलेट से ज्यादा होती हैउधर जम्मू-कश्मीर के चुनावी रैली  में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  आतंकवाद को करारा जवाब दिया... पीएम मोदी ने कहाकि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने बैलेटसे बुलेट को हरा दिया.. और ये साबित कर दिया  एके 47 के ट्रिगर से ज्यादा ताकत बैलेट के बटन में होता हैपीएम नरेंद्र मोदी की रैली मेंविशाल जनसैलाब ने ये साबित कर दिया की वो लोकतंत्र के लिए कटिबद्ध हैंकश्मीर में आतंकी हमले से देश मर्माहत हैएनकाउंटर में भारत माँके ११ बहादुर लाडले शहीद हो गएदेश ने अपने रणबांकुरों को नम आँखों से श्रद्धांजलि दी है इस शहादत को हम बेकार नहीं जाने देंगे.
 असल में पाकिस्तान की सोच का केंद्र बिंदु ही भारत विरोध का हैसरकार जिस पार्टी का होपाकिस्तानी सरकारसेना और आई एस आईमिलकर आतंकवादी संगठनो को हर तरह का समर्थन देता हैभारत में दहशत पैदा करने के लिएकश्मीर में चुनाव प्रक्रिया के दौरान तबरतोड़आतंकी हमला इसी का नतीजा हैताकि कश्मीर समस्या को अंतरराष्ट्रीय चर्चाओं में रखा जा सकेऔर तो और भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी कीबढ़ती लोकप्रियता और भारत की पराक्रम और बढ़ते वर्चस्व से सबसे ज्यादा अगर कोई परेशान है तो वो है पाकिस्तान। पाकिस्तान ने लगातारभारत विरोध के लिए प्रोपेगेंडा का सहारा लिया है और ताकत जुटाई हैइसलिए सुरक्षा बलों पर दबाव बनाने और लोगों में दहशत का माहौलबनाने के लिए आतंकियों की सक्रियता आगे भी बरकरार रह सकती है। आतंकवाद से लोकतंत्र की लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है। जीत भले हीअमन पसंददुनिया में शांति के पैरोकार भारत की होगीलेकिन इसके लिए हमें सतर्क और लगातार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को आगेबढ़ाते रहना होगा और हर मंच पर पाकिस्तान को करारा जवाब देना होगा।
दरसअल पाकिस्तान की बौखलाहट का एक पहलु और भी हैजम्मू-कश्मीर चुनाव में मतदान केंद्र के बाहर लंबी-लंबी कतारेंधैर्य से अपनी बारीका इंतजार करते युवाबुजुर्ग और महिलाएं के जनसैलाब और रिकॉर्ड मतदान ने दुनिया के सामने लोकतंत्र की मिशाल पेश कीइसमें कोई शकनहीं है कि कश्मीर में लोकतंत्र की मजबूती को देख पीओके की आम जनता में भी भारत के प्रति विश्वास कई गुना बढ़ा होगा। और वही विश्वासआगे चलकर भारत की कोशिशों को मजबूती प्रदान करेगा। पाकिस्तान की असली परेशानी की वजह यह है की पाक अधिकृत कश्मीर लोगों नेपाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारे लगाये और आज़ादी की मांग की।  जिसे देखकर सबसे ज्यादा अगर कोई हैरानपरेशान है तो वो हैपाकिस्तानी सरकारआतंकी सरगना हाफिज सईदचुनाव में कश्मीरियों की भारी सहभागिता से पाकिस्तान के भारत विरोधी प्रोपेगेंडा कापर्दाफाश हो गया.
भारत विरोधी अपने लाहौर जलसे में हाफिज सईद ने फिर कहा कि कश्मीर में जिहाद शुरू हो चुका है..  अमेरिका ने हाफिज़ सईद पर इनाम रखाहै...उसे मोस्ट वांटेड टेरेरिस्ट की लिस्ट में डाला है....उसके संगठन पर प्रतिबंध लगाया है....इसलिए भारत के साथ साथ हाफिज सईद अपनीतकरीर में बार बार अमेरिका पर हमले करता है...हाफिज सईद ने 26/11 का आतंकवादी हमला करवाया....मासूम लोगों की हत्या करवाया...धर्म के नाम पर लोगों को आतंकवादी बनाया....और अब वो भारत को धमकी दे रहा है...लेकिन हाफिज सईद से ज्यादा दोषी पाकिस्तान कीसरकार है जिसने सब कुछ जानते हुए भी उसे खुला छोड़ा है.... हाफिज सईद पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर में लाइन ऑफ कन्ट्रोल और इटरनेशनलबॉर्डर के आसपास गजवा--हिंद नाम का एक मूवमेंट चला रहा है.... गजवा  हिंद का मतलब हैभारत के खिलाफ एक तरह का धर्मयुद्ध ...इसका मकसद कश्मीरी अवाम को जेहाद के नाम पर भारत के खिलाफ भड़काना है। हाफिज सईद कश्मीर के युवाओं को भड़काने के लिए हरफार्मूला अपना रहा है...
पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को ये मंजूर नहीं की कश्मीर में लोकतंत्र मजबूत हो। लश्करे तैयबा और जमात उद दावाजैसे आतंकी संगठन बैलेट में नहीं,बुलेट में यकीन रखते हैं। हाफिज सईद और उसके पाकिस्तानी आका अवाम में नहीं आतंक में विश्वास रखतेहैं। इसीलिए वो किसी भी कीमत पर जम्मू कश्मीर के चुनावी प्रक्रिया को फेल करना चाहता हैइसलिए वो लोकतंत्र पर हमले का दुःसाहस कररही है?  सेना, ISI और आतंकी संगठनो के दवाब में पाकिस्तान के हुक्मरानो के बदलते रुख से इस मुल्क की दुनियाभर में किरकिरी हुई है.कोईभी गैरतमंद पाकिस्तानी अपने मुल्क का यह हाल देखकर दुखी ही होगा.
राजकमल चौधरी

घर बचाने की चिंता में जनता परिवार - लालू-मुलायम-नितीश का मोदी रोको दल

सबको अपना घर बचाने की चिंता है। इसी कड़ी में जनता दल परिवार से जुड़े नेताओं की दिल्ली में बैठक हुई. दरअसल इक्कठा हुए राजनैतिक दलों के नेता पीएम नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता के सताए हुए हैं. इसीलिए जनता परिवार की बैठक में सहमति बनी की नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए और दो दो हाथ करने के लिए एक नया मोर्चा बनेगा। सब एक बात पर सहमत हैं कि नरेंद्र मोदी से लड़ना है। पर किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे? उधर ममता, प्रकाश करात और सोनिया भी मिलने को राजी हैं। हालांकि ये अलग बात है की इनमें नीतियों और कार्यक्रमों के स्तर पर कोई समानता नहीं है। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव में समानता खोजना नीतीश कुमार का अपमान ही होगा। मोदी विरोधियों की भविष्य को लेकर कोई साफ दृष्टि नहीं है। रणनीति के स्तर पर भी यही नजर आता है। अब मोदी को रोकने के दो ही तरीके हैं। एक नकारात्मक और दूसरा सकारात्मक। मोदी के प्रति लोगों के भरोसे को तोड़िए या ऐसी नेतृत्व क्षमता विकसित कीजिए जिस पर लोगों को मोदी से ज्यादा भरोसा हो। 
असल में ये सभी दल सत्ता के लिए साथ आए है विचारों और देश की भलाई के लिए नहीं। जनता दल परिवार के पुनर्मिलन की कहानी मोदी लहर ने पैदा की है.
दरसअल में ये सभी रीजनल पार्टियां हैं....जातिवाद की राजनीति करती रही हैं....ये सब वो लोग हैं जो नरेन्द्र मोदी से सबसे ज्यादा परेशान हैं....लोकसभा चुनाव के नतीजों को तो मोदी लहर मानकर शांत थे...लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजों ने लालू...मुलायम और नीतीश को परेशान कर दिया....अब इन्हें अपने वजूद पर खतरा दिख रहा है....और इसी डर ने इन सबको पुरानी दुश्मनी भुलाकर दोस्ती करने पर मजबूर कर दिया है....लालू यादव कुछ भी कहें...लेकिन असलियत यही है.. इन पार्टियों की दिक्कत यह है कि इनका जन्म जिस उदेश्य की पूर्ति  के लिए हुआ था उस लक्ष्य और रास्ते से ओ भटक गयी है. उसे पहले खुद को आइने में देखना होगा कि क्या वह सचमुच वह गरीबो, पिछड़ों, समाज के कमजोर तबकों के लिए काम कर रही है? लोहिया और समाजवाद के रास्ते पर चल रही है ? उसे पहले स्वीकार करना होगा कि वह भटक गई थी। साथ ही देश के लोगों को भरोसा दिलाना होगा कि वह उस रास्ते पर लौटने के लिए तैयार है। वर्ना ओ नरेंद्र मोदी से नहीं लड़ सकते। उनके विचार भी नहीं लड़ सकते। क्योंकि विचार तभी लड़ सकते हैं जब उन पर चलने वाला कोई हो। एक तरफ नरेंद्र मोदी को विशाल जनसमर्थन मिला है, नीति और नीयत के पटल पर भी वो लोगों को खूब भा रहे हैं. दूसरी ओर डर और जमीन खिसकने की आहट. जनता दल परिवार के पुनर्मिलन की कहानी कितनी हिट होती है ये देखना दिलचस्प है.

राजकमल चौधरी