Tuesday, February 10, 2015

घर बचाने की चिंता में जनता परिवार - लालू-मुलायम-नितीश का मोदी रोको दल

सबको अपना घर बचाने की चिंता है। इसी कड़ी में जनता दल परिवार से जुड़े नेताओं की दिल्ली में बैठक हुई. दरअसल इक्कठा हुए राजनैतिक दलों के नेता पीएम नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता के सताए हुए हैं. इसीलिए जनता परिवार की बैठक में सहमति बनी की नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए और दो दो हाथ करने के लिए एक नया मोर्चा बनेगा। सब एक बात पर सहमत हैं कि नरेंद्र मोदी से लड़ना है। पर किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे? उधर ममता, प्रकाश करात और सोनिया भी मिलने को राजी हैं। हालांकि ये अलग बात है की इनमें नीतियों और कार्यक्रमों के स्तर पर कोई समानता नहीं है। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव में समानता खोजना नीतीश कुमार का अपमान ही होगा। मोदी विरोधियों की भविष्य को लेकर कोई साफ दृष्टि नहीं है। रणनीति के स्तर पर भी यही नजर आता है। अब मोदी को रोकने के दो ही तरीके हैं। एक नकारात्मक और दूसरा सकारात्मक। मोदी के प्रति लोगों के भरोसे को तोड़िए या ऐसी नेतृत्व क्षमता विकसित कीजिए जिस पर लोगों को मोदी से ज्यादा भरोसा हो। 
असल में ये सभी दल सत्ता के लिए साथ आए है विचारों और देश की भलाई के लिए नहीं। जनता दल परिवार के पुनर्मिलन की कहानी मोदी लहर ने पैदा की है.
दरसअल में ये सभी रीजनल पार्टियां हैं....जातिवाद की राजनीति करती रही हैं....ये सब वो लोग हैं जो नरेन्द्र मोदी से सबसे ज्यादा परेशान हैं....लोकसभा चुनाव के नतीजों को तो मोदी लहर मानकर शांत थे...लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजों ने लालू...मुलायम और नीतीश को परेशान कर दिया....अब इन्हें अपने वजूद पर खतरा दिख रहा है....और इसी डर ने इन सबको पुरानी दुश्मनी भुलाकर दोस्ती करने पर मजबूर कर दिया है....लालू यादव कुछ भी कहें...लेकिन असलियत यही है.. इन पार्टियों की दिक्कत यह है कि इनका जन्म जिस उदेश्य की पूर्ति  के लिए हुआ था उस लक्ष्य और रास्ते से ओ भटक गयी है. उसे पहले खुद को आइने में देखना होगा कि क्या वह सचमुच वह गरीबो, पिछड़ों, समाज के कमजोर तबकों के लिए काम कर रही है? लोहिया और समाजवाद के रास्ते पर चल रही है ? उसे पहले स्वीकार करना होगा कि वह भटक गई थी। साथ ही देश के लोगों को भरोसा दिलाना होगा कि वह उस रास्ते पर लौटने के लिए तैयार है। वर्ना ओ नरेंद्र मोदी से नहीं लड़ सकते। उनके विचार भी नहीं लड़ सकते। क्योंकि विचार तभी लड़ सकते हैं जब उन पर चलने वाला कोई हो। एक तरफ नरेंद्र मोदी को विशाल जनसमर्थन मिला है, नीति और नीयत के पटल पर भी वो लोगों को खूब भा रहे हैं. दूसरी ओर डर और जमीन खिसकने की आहट. जनता दल परिवार के पुनर्मिलन की कहानी कितनी हिट होती है ये देखना दिलचस्प है.

राजकमल चौधरी

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