दिल्ली के विज्ञान भवन में सम्मानित होती आईएएस अधिकारी शरणदीप कौर |
पीएम मोदी के स्वच्छता
और बेटी बचाओ अभियान को साकार
करती हरियाणा कि आईएएस बिटिया. शरणदीप कौर बराड़ 2009 बैच की सेकेंड आईएएस टॉपर हैं.सिरसा कि डीसी रहते हुए शरणदीप कौर बराड़ ने
अपने केवल 11 महीनों के कार्यकाल में ही ग्रामीण सिरसा और
उसके तीन शहरी कस्बों को खुले में शौच से मुक्त कराने में सफलता पाई. जिले के युवा
कलेक्टर बराड़ ने इस अभियान में स्थानीय लोगों और सरपंचों को जागरुक किया और साथ
लेकर स्वच्छता अभियान को गति दी. साथ ही हरियाणा जैसे राज्य जहाँ बेटियों के लिंगानुपात के आँकड़े उत्साहजनक
नहीं है वहां बेटी बचाओ अभियान को एक नई दिशा दे रहीं हैं. शरणदीप खुद अपनी
माता-पिता की इकलौती संतान हैं। उनके पिता मंजीत सिंह बराड़ एक सामान्य किसान और
उनकी मां सुरजीत कौर एक रिटायर्ड टीचर हैं। किसान पिता ने उन्हें आईएएस बनाने का न
सिर्फ सपना देखा बल्कि उसे साकार भी किया। बराड़ कहती हैं कि उनके माता-पिता का
हौसला उनको यह प्रेरणा देता है कि बेटियां भी बुलंदियों को छू सकती हैं लेकिन
उन्हें यह मौका मिले तब. इसलिये भी वो बेटी बचाओ अभियान को
मुकाम तक ले जाना चाहती हैं. वो आईएएस अधिकारियों के
बीच एक मिशाल के तौर पर उभरीं हैं. अंतरिक्ष हो या खेल के मैदान, हरियाणा
को अंतर्राष्ट्रीय पहचान बेटियों ने ही दिलाई है, गर्व
की सबसे बड़ी वजह बेटियां ही हैं. मोदी के स्वच्छ भारत और बेटी बचाओ जैसे ड्रीम
प्रोजेक्ट को साकार कर रही एक बेटी जो पेशे से जिला कलेक्टर है।
एक नवंबर को हरियाणा के 50वें जन्मदिन पर
गुरुग्राम में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हरियाणा के सात जिलों को बड़े फख्र
से ‘खुले में शौच से मुक्त’ होने की घोषणा कर रहे थे। उस समय भी गुरुग्राम से लगभग
308 किलोमीटर दूर सुदूर
राजस्थान से सटे हरियाणा के छोटे से कस्बे ऐलनाबाद को खुले में शौच से मुक्त करने
के अपने मास्टर प्लान पर युवा और ऊर्जावान आईएएस अधिकारी (2009 बैच की सेकेंड
टॉपर) शरणदीप कौर बराड़ माथापच्ची करने में जुटी थी। सिरसा के डीसी की कुर्सी पर
काबिज बराड़ ने अपने 11 महीनों के कार्यकाल में ही ग्रामीण सिरसा और उसके तीन शहरी कस्बों
को खुले में शौच से मुक्त कर भगीरथी प्रयास को अंजाम तो दिया ही है, हरियाणा के सबसे
पिछड़े हुए इलाकों में से एक सिरसा को स्वच्छ भारत अभियान का अग्रणी ब्रैंड
अम्बैसडर बना दिया है। कपास, किन्नु और गेहूं के उत्पादन के लिए मशहूर इस इलाके में मंडियों और
फैक्ट्रियों को भी खुले में शौच से मुक्त करने के लिए सफलतापूर्वक प्रेरित किया
गया है। आपको कॉटन जिनिंग फैक्ट्रियों के बाहर बजाप्ता ऐसे डिस्पले बोर्ड मिल
जाएंगे जिसमें फैक्ट्री को उद्योगपतियों ने खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है।
यहां तक कि देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए भी
शौचालयों की व्यवस्था की गई है। 17 सितंबर को मोदी के जन्मदिवस पर ही सिरसा जिले के 338 गांवों को हरियाणा
सरकार ने खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया जिसके लिए इस ऊर्जावान आईएएस
अधिकारी को दिल्ली के विज्ञान भवन में केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैय्या
नायडू, ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और हरियाणा के
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मौजूदगी में सम्मानित किया गया। आमतौर पर
राष्ट्रीय मीडिया की नजरों से दूर रहने वाले और लगभग 13 लाख की आबादी वाले
इस जिले के युवा कलेक्टर बराड़ कहती हैं कि ‘लोगों की जागरुकता और इसी साल हरियाणा
में पढ़े-लिखे सरपंचों के चुने जाने के बाद से उन्हें स्वच्छता अभियान को गति देने
में बेहद मदद मिली और जो शहरी इलाके इस अभियान से छूट गए हैं वहां मोबाइल टॉयलेट्स
का इंतजाम कर जल्द ही खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया जाएगा’।
बेटी बचाओ के मोर्चे पर भी सराहनीय
सफलता
वो खामियां जिनसे बिगड़ती है हरियाणा
की छवि, उनमें कोख में कत्ल यानि लिंगानुपात में कमी सबसे बड़ी खामी है।
शायद यही वजह थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान
की शुरुआत हरियाणा के पानीपत से ही की थी। हरियाणा के कई जिले ऐसे हैं जिनका
लिंगानुपात बेहद शर्मनाक है। शरणदीप कौर बराड़ ने प्रधानमंत्री के इस ड्रीम
प्रोजेक्ट को भी बेहद प्राथमिकता पर लिया और जिसका परिणाम यह है कि आज (अक्तूबर 2016 तक) सिरसा जिले का
लिंगानुपात 1000 के मुकाबले 941 तक पहुंच चुका है। इस आंकड़े की तस्दीक चीफ मेडिकल ऑफिसर भी करते
हैं। बेटी बचाओ के मुद्दे पर गंभीर काम करने की एक वजह शायद ये भी है कि शरणदीप
खुद अपनी माता-पिता की इकलौती संतान हैं। उनके पिता मंजीत सिंह बराड़ एक सामान्य
किसान और उनकी मां सुरजीत कौर एक रिटायर्ड टीचर हैं। किसान पिता ने उन्हें आईएएस
बनाने का न सिर्फ सपना देखा बल्कि उसे साकार भी किया। बराड़ कहती हैं कि उनके
माता-पिता का हौसला उनको यह प्रेरणा देता है कि बेटियां भी बुलंदियों को छू सकती
हैं लेकिन उन्हें यह मौका तब मिलेगा जब उन्हें जन्म लेने का अधिकार दिया जाए।
पीएनडीटी और लिंग परीक्षण के मोर्चे पर प्रशासन ने कड़े कदम उठाए और उसका परिणाम
आज सामने है। लोकल इंटेलीजेंस यूनिट के अधिकारी अजय शर्मा सराहनीय प्रयासों का
जिक्र करते हुए कहते हैं कि ‘लिंगानुपात को सुधारने के लिए उनकी टीम ने डाक्टरों
की मदद से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में पिछले दो सालों में 7 बड़े सीक्रेट
ऑपरेशन्स को अंजाम दिए जहां पर कि मोटी रकम लेकर लिंग परीक्षण किया जा रहा था।
चूंकि यह इलाका पंजाब और राजस्थान की सीमा से सटा है इसलिए हरियाणा में सख्ती के
बाद लोग लिंग जांच के लिए पंजाब और राजस्थान का भी रुख कर लेते हैं’। 1000 लडक़ों के मुकाबले 941 के आंकड़े तक
लिंगानुपात को पहुंचाना निश्चित तौर पर बड़ी उपलब्धि है। जिसे शरणदीप और उनकी टीम
ने बिना ज्यादा शोर शराबे के अंजाम दिया है। मनोविज्ञान की छात्रा रही बराड़
लाइमलाइट से दूर ही रहना पसंद करती हैं लेकिन महज 11 महीनों में उनकी उपलब्धियों के
मद्देनजर हरियाणा उनमें भविष्य का एक बेहतर प्रशासक और स्वपनदृष्टा देख रहा है।
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